
कर्म ही पूजा है
( Karm hi pooja hai )
मनहरण घनाक्षरी
कर्म श्रद्धा कर्म भक्ति
कर्म धर्म पुनीत है
कर्म ही पूजा हरि की
कर्म नित्य कीजिए
कर्म योग कर्म ज्ञान
कर्म पथ पावन है
कर्म कर जीवन की
नौका पार कीजिए
कर्म सेवा हरि आस्था
कर्मशील पुरुषार्थी
कर्म से मंजिलें मिले
कर्म कर लीजिए
कर्म पुण्य कर्म पूंजी,
कर्म उन्नति पथ है।
कर्म करें यश बढ़े,
कर्म शुभ कीजिए।
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )