हम सबके सियाराम
हम सबके सियाराम
विराजे अयोध्या धाम देखो
हम सबके सियाराम ।
गर्वित हो गया हिंदोस्तान
देखो हम सबके सियाराम ।
मर्यादा का पालन करते दोष दूसरो पर न धरते ।
सुख दुख सम समझो सिखलाते सत्य विजय सबको दिखलाते ।
सबका करें कल्याण गर्वित हो गया
हिदोस्तान ।
हम सबके सियाराम ।
माता पिता गुरु आज्ञाकारी संतजनो के भयहारी
धैर्यवान बलवान देखो हम सबके सियाराम
सभी के मन पर राज किया करे सच के सिर पर ताज धराकरे
रखते सुर असुर का ध्यान देखो हम सबके सियाराम
शिवजी का धनुषतोड़ कर मैथिली ब्याह कर ले लाये
अयोध्या वासी हर्षित होकर घर घर अपने दीप जलाये
सुखकारो बन गयेसभीके दुखहारी बनगयेसभी के
बन गये पूरनकाम देखो हम सबके सियाराम ।
बुरा समय मंथरा बनकर काम अनोखा करने लगा था
कैकयी ने दशरथ जी से मांगे दो वरदान रखा था
मान रखा पितृ वचन का ध्यान रखा माता के मन का
किया वन को प्रस्थान हम सबके सियाराम ।
भक्त निषाद को मित्र बनाया केवट की शंका को मिटाया
. जूठे फल शबरी के खाये अहिल्या को शाप से मुक्त कराये
फिर मिले भक्त हनुमान हम सबके सियाराम
सोने का मृग मारीच बन गया
मॉ सीता को रावण हर गया
वनवन ढूंढे मां सीता को
पूछे बेल और . पान हम सबके सियाराम ।
सुग्रीव को अपना मित्र बना के बालि का वध छल से कर के
कारण पूछा बालि ने
प्रभु से
क्यों हर लिये मेरे प्राण हम सबके सियाराम
कारण हरण भाई पत्नी को समझा न पुत्री समान
हम सब के सियाराम
सुग्रीव की वानर सेना लेकर
हनुमान को शक्ति याद दिला कर
पहुंचे बजरंग रावण की लंका
किया न मन में तनिक भी शंका
अघोषित युद्ध का किया आव्हान
हम सबके सियाराम ।
लंका में मिलते भक्त विभीषण
किया आंगन में माँ तुलसी रोपण
जला दिया पूरी लंका को जलाया न भक्त का धाम
हम सबके सियाराम
माता सीता से मिलकर आये
अपना असली रूप दिखाकर शंका का किया समाधान हम सबके सियाराम ।
मां सीता का पता ले आये
संदेश माँ का प्रभु को सुनायें
भक्त हनुमान का अंतरमन से माना प्रभु ने एहसान
हम सबके सियाराम
समुद्रतट पर सब संग आये
सागर अगुवानी कोन आयें
कोधित हो गये भइया लक्ष्मण
श्रीराम ने साधाबाण हम सबके सियाराम
भयमीत सागर सामने आकर
प्रभु चरणो में शीश नवाकर
किया श्रीराम गुणगान
नल और नील को गुणी बताया
राम नाम लिख पत्थर तैराया
समुद्री जीव सब बने सहायक पुल चढ़ पहुंचे दुश्मन धाम
हम सबके सियाराम
अंगद दूत बने श्रीराम के
पहुंचे सभा में रावण के सामने
दिखा दी ताकत राम दूत की करवीरो का आव्हान
अंगद पैर जमा कर अपना
कहा रावण से न देखो सपना
क्षमा मांग लो प्रभु से जाकर करो न युद्ध आव्हान हम सबके सियाराम
अहंकार रावण का देखो कुर्बानी के
बीज बोता
पुत्र भाई कुंभकरण संग
एक एक कर सब रिश्ते खोता
अंत अकेला रह गया युद्ध में
खेत हो रहा अभिमान
हम सबके श्री राम
वादा किया जो उसे निभाया राजमुकुट विभीषण पहनाया
भ्राता भरत की प्रतिज्ञा याद कर पहुँचे अयोध्या धाम हम सबके सियाराम
आशा झा
दुर्ग ( छत्तीसगढ़ )