नया साल | Naya Saal par Kavita
नया साल
( Naya saal )
जशन ऐसा मनाओं नये साल में।
रास्तों को सजाओ नये साल में।।
हो न नफरत कहीं प्रेम ही प्रेम हो।
सबको दिल से लगाओ नये साल में।।
ग़म ज़दा हो कोई या परेशान हो।
मिल के उसको हंसाओं नये साल में।।
भूल कर आज अपनों से शिकवे गिले।
कसमे वादे निभाओं नये साल में।।
जो मजा प्यार में नफरतों में नहीं।
पाठ यही पढ़ाओ नये साल में।।
लब पे आजाद के आ रही है दुआ।
तुम हंसो मुस्कुराओ नये साल में।।
डॉक्टरेट महताब ए आज़ाद
उत्तर प्रदेश
—0—
कोई रो रहा है कोई गा रहा है
लेकिन नया साल मना रहा है।
कोई रजाई में पड़ा है
कोई नहाने के लिए खड़ा है
कोई पानी के लिए चिल्ला रहा है
लेकिन नया साल मना रहा है।
कोई ठंड से कांप रहा है
कोई उठकर अलाव ताप रहा है
कोई बिना नहाए ही खा रहा है
लेकिन नया साल मना रहा है।
कोई घूमने जा रहा है
कोई घूम घूम कर आ रहा है
कोई घर पर ही भजन गा रहा है
लेकिन नया साल मना रहा है।
कोई घर गिरस्ती में लगा है
कोई जीवन की मस्ती में लगा है
कोई दोस्तों की महफिल सजा रहा है
लेकिन नया साल मना रहा है।
कोई नौकरी करके आ रहा है
कोई नौकरी पर जा रहा है
कोई घर पर ही दिमाग लगा रहा है
लेकिन नया साल मना रहा है।
संदेश देने की झड़ी लगी है
मोबाइल पर भीड़ बड़ी लगी है
कोई जमकर बतिया रहा है
लेकिन नया साल मना रहा है।