Kavita | वृक्ष कहे तुमसे
वृक्ष कहे तुमसे
( Vriksh Kahe Tumse )
मन में यदि हो सेवा भाव
हर अवसर पर वृक्ष लगाओ
वृक्ष लगाकर इस धरती को
उसकी धरोहर तुम लोटाओ।।
माना बन नहीं सकता है
पहिले जैसा ये बतावरण
छोटे छोटे पौधो को लगाकर
आस पास को शुद्ध बनाओ।।
हमको दिया है उस ईश्वर ने
प्रकृति के रूप में यह भंडार
पेड़ पौधों की करके सेवा
तुम भी थोड़ा पुण्य कमाओ।।
बारिश मैं जो अमृत बरसे
पेड़ पौधे उसके लिए तरसे,
अभिषेक करें यह धरती का
वर्षा में उस शीतल जल से ।।
अंधाधुंध नहीं करो कटाई
वृक्ष बिना ना बारिश भाई,
बिन अमृत तपती है धरती
बरसे कैसे जल बनकर मोती।।
वृक्ष लगाओ वृक्ष लगाओ
जन जन तक संदेश पहुचाओ
इस जीवन मैं वृक्ष लगाकर
जीवन अपना सार्थक बनाओ।
प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
ग्वालियर – मध्य प्रदेश