ये कैसा रामराज्य है
( Ye Kaisa Ram Rajya hai )
आम आदमी कंगाल हुआ है,
नेता सारे मालामाल हुए हैं,
किसान और मजदूर देश के,
देखो कैसे बदहाल हुए हैं।
न तन पर है कपड़े,
न खाने को सूखीं रोटी,
देश की जनता कल भी भूखी-प्यासी थी,
आज भी भूखी-प्यासी है।
ये कैसा मंजर है यारों,
कोई सूखी रोटी को तरसे,
तो कोई खा खा करके मर रहे हैं,
ये कैसा रामराज्य है आया।
किसान मजदूर और आमजन
कर्ज मे डुब कर रहे आत्महत्या
पूंजी पतियों के हजारों करोड़ भी,
माफ़ कर दिया जा रहा है।।
युवाओं की बदहाली देखो,
दर दर भटक रहें हैं।
हक़ की बात करते हैं तो ,
होती लाठी की बरसात हैं।
ये कैसी रामराज्य की झांकी है,
आम आदमी कंगाल हुआ है।।
योगाचार्य धर्मचंद्र जी
नरई फूलपुर ( प्रयागराज )
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