कायर
“मैं अपने घरवालों को शादी के लिए और नहीं टाल सकता। 3 साल से तुम्हारे लिए अपनी शादी टालता आ रहा हूँ। अब मैंनें अपने मां-बाप को लड़की देखने के लिए बोल दिया है। यह बताओ- तुम मुझसे शादी करोगी या नहीं?” विपुल ने रश्मि से सवाल किया।
“मैं तुमसे शादी तो करना चाहती हूँ विपुल, लेकिन मेरे घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। अभी 2 साल पहले ही पिताजी ने मेरी बड़ी बहन गरिमा की शादी की है।
उन्होंने गरिमा की शादी के लिए जो कर्जा लिया था, वह अभी उतर भी नहीं पाया है। अभी यह मान लो कि पिताजी मेरी शादी कम से कम 1 साल के बाद करेंगे। मैं पिताजी या मम्मी से इस बारे में अभी कुछ बोल भी नहीं सकती। मेरे अंदर हिम्मत भी नहीं है। मैं मजबूर हूँ।” रश्मि ने विपुल के सवाल का जवाब देते हुए कहा।
“मैं या मेरा परिवार शादी में कौन-सा तुम्हारे परिवार से दहेज मांग रहे हैं। हमारे लिए तो दुल्हन ही दहेज है। मैं तुमसे प्यार करता हूँ। तुमसे शादी करना चाहता हूँ। हम एक दूसरे से पिछले 4 सालों से संपर्क में हैं।
एक दूसरे को अच्छे से जानते हैं, समझते हैं। यह अच्छी बात थोड़ी ना होगी कि हम प्यार तो एक दूसरे से करें और शादी अलग-अलग। तुम्हें तो पता है कि मेरी बैंक में नौकरी लगे हुए 4 साल हो गए हैं, तब से मेरे लिए लगातार रिश्ते आ रहे हैं लेकिन मैं सिर्फ तुम्हारे लिए… तुमसे शादी करने के लिए अपने मां-बाप को शादी के लिए टालता आ रहा हूँ, मना करते हुए आ रहा हूँ।
बहुत ज्यादा समय हो गया है टालते हुए। अब मां बाप ने भी साफ-साफ बोल दिया है कि अब हम तेरी एक नहीं सुनेंगे। हम भी बूढ़े हो गए हैं। क्या पता कब जान निकल जाए?
मरने से पहले हम पोते-पोतियों को अपनी गोद में खिलाना चाहते हैं। अब हम तेरे लिए लड़की देखना शुरू कर रहे हैं। अब हम तेरी एक न सुनेंगे। रश्मि, यह तो तुम्हें भी पता है कि सरकारी नौकरी वाले को कोई छोड़ना नहीं चाहता। चाहे देखने भालने में वह इंसान कैसा भी हो। सबको सरकारी दामाद चाहिए होता है… अपनी बेटी के सुरक्षित भविष्य के लिए।”
“वह सब तो ठीक है विपुल, लेकिन तुम मेरी मजबूरी भी तो समझो। मैं किस मुँह से अपने मां-बाप से कहूं कि मैं तुमसे प्यार करती हूँ?”
“बीच का रास्ता भी तो निकल सकता है रश्मि, एक काम करते हैं… अपने किसी परिचित रिश्तेदार को पड़कर बिचौलिया बनाते हैं। वह बिचौलिया मेरे पिताजी से बात करेगा, तुम्हारे परिवार के बारे में बतायेगा। फिर मैं अपने परिवार के साथ तुम्हें देखने आऊंगा और तुम्हें पसंद कर लूंगा।
हमारी कास्ट भी सेम है तो कोई दिक्कत भी नहीं आएगी। हमारा रिश्ता तुरंत हो जाएगा। शादी हम तुम्हारे परिवार की सुविधानुसार 1 साल बाद कर लेंगे। दान दहेज हमें कुछ नहीं चाहिए। तुम्हारे परिवार पर ज्यादा बोझ भी न पड़ेगा, सिर्फ खाना ही खिलाना होगा बारात को।
मम्मी पापा चाहते हैं कि बहू परिवार को साथ लेकर चलने वाली हो, घर बसाने वाली हो, ना कि तोड़ने वाली। धन दौलत तो आती जाती है, वह तो हाथ का मैल है, लेकिन जीवन साथी अगर सुंदर, समझदार, वफादार है, निभाने वाला है, परवाह करने वाला है, आपसी रिश्तों में अगर सम्मान है तो जिंदगी जन्नत बन जाती है।
अगर दुनिया भर का दान-दहेज मिल जाए लेकिन जीवनसाथी ठीक ना मिले तो सब कुछ बेकार है। प्लीज रश्मि, कुछ करो। अपनी बहन या मां जी को विश्वास में लेकर उन्हें हमारे प्यार के बारे में बताओ ताकि वे तुम्हारे पिताजी को समझाएं। हो सकता है कि तुम्हारी कोशिश का सकारात्मक रिजल्ट आए और हम एक हो जाएं।” विपुल ने शादी को लेकर अपना प्लान बताते हुए रश्मि को समझाते हुए कहा।
“विपुल, मैं तुम्हारी फीलिंग की कदर करती हूँ लेकिन मैं मजबूर हूँ। मैं तुम्हें झूठी सांत्वना देना नहीं चाहती। मुझे पता है कि मेरी शादी 2 साल से पहले नहीं हो पाएगी। मैं चाह कर भी अपने मां-बाप से अपनी शादी के बारे में बात नहीं कर सकूंगी। मुझे माफ कर दो। तुम्हारे मां-बाप तुम्हारे लिए जो भी लड़की पसंद करेंगे, तुम उससे शादी कर लेना। मुझे बुरा नहीं लगेगा।
तुमने मेरा इतना इंतजार किया। मेरा हमेशा साथ दिया। मेरी हर छोटी बड़ी जरूरत का ध्यान रखा। सच कहूँ तो तुम्हारा कोई दोष नहीं है। तुम चाहते तो कहीं और भी शादी कर सकते थे लेकिन तुमने हमेशा अपनी बात स्पष्ट रूप से मेरे सामने रखी और आज भी तुमने यही किया। मुझे यही लगता था कि अगले 3 सालों में, मैं सरकारी नौकरी प्राप्त कर लूंगी.. अपने पैरों पर खड़ी हो जाऊंगी। लेकिन ऐसा हो ना सका।
अभी हाल फिलहाल भी मेरी नौकरी लगने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। सोचा तो यही था कि नौकरी मिलने पर पिताजी का कर्ज उतारने में मदद करूंगी और बेफिक्र होकर तुमसे शादी करूंगी। लेकिन कुछ भी मेरे अनुरूप नहीं हुआ। शायद ईश्वर भी नहीं चाहते कि हमारी शादी हो, हम एक हों।
तुम्हारे घर वाले सही कहते हैं। वे तुम्हारी शादी का कितना इंतजार करें? मेरी वजह से तुमने उन्हें 4 साल इंतजार करवाया। उनकी उम्र भी हो चली है। अब तुम्हें मैं और इंतजार नहीं करवा सकती।
तुम मुझे भूल जाओ और अपनी मां-बाप की पसंद की लड़की से शादी कर लो। मेरी भी यही दिली तमन्ना है। मैं तो खुलकर तुमसे यह बोल न सकी। आज तुमने ही अपनी शादी की बात बोल दी तो फिर मैंने भी मन की बात कह दी।”
“क्या बोल रही हो? होश में भी हो क्या कह रही हो? क्या मेरे बिना तुम रह सकोगी? तुम्हें नहीं पता, तुम अपनी खुशियों का अपने हाथ से गला घोट रही हो?” विपुल गुस्से से बोला।
“विपुल, मैं होशोहवास में सब कुछ बोल रही हूँ। वैसे भी हम एक दूसरे से दूर कहाँ हो रहे हैं? हम एक दूसरे के लगातार संपर्क में रहेंगे। एक दूसरे का हाल-चाल जानेंगे और ऐसे ही बातें करेंगे, जैसे हम आज तक करते आये हैं।”
“ऐसा कैसे हो सकता है? क्या प्यार के बाद दोस्ती संभव है? दोस्ती के बाद प्यार होते हुए देखा है मैंने… लेकिन प्यार के बाद फिर से दोस्ती यह असंभव है।”
“असंभव कुछ नहीं होता विपुल, अगर तुम चाहो तो हमारा रिश्ता फिर से दोस्ती में बदल सकता है। क्या सिर्फ पा लेने का नाम ही मोहब्बत होता है? प्यार हमेशा कुर्बानी मांगता है। हम दोस्त बनकर भी एक दूसरे के संपर्क में रह सकते हैं। एक दूसरे के बारे में, परिवार के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
अपने प्यार को खुश देखना ही सच्चा प्रेम होता है। तुम्हें खुश देखकर मुझे अच्छा लगेगा। मैं तुम्हारी शादी के बाद तुम्हारी दुल्हन को देखने तुम्हारे घर आऊंगी। मुझे उस दिन का इंतजार है जब मैं तुम्हारी दुल्हन देखूंगी। प्यार हमेशा कुर्बानी मांगता है।तुम्हारी खुशी के लिए यह कुर्बानी मैं खुशी-खुशी दूंगी।”
“क्या कहा? कुर्बानी तुम दोगी? इसको कुर्बानी नहीं बोलते, इसको कायरता कहते हैं। पीछे तुम हट रही हो शादी से, मैं नहीं। मैं अभी भी 1 साल रुकने को तैयार हूँ लेकिन अब भी तुम्हें मेरी फीलिंग की कदर नहीं है। प्यार में व्यक्ति अपनी प्रेम को पाने लिए किसी भी हद तक जा सकता है।
मैं समझ नहीं पा रहा कि अगर तुम्हें मेरे साथ यही सब करना था तो मुझसे प्यार क्यों किया? क्यों मेरे 4 साल बर्बाद किये। साथ जीने मरने की कसमें खाई? यह गलत है रश्मि? मैं अब भी कहता हूँ कि कोशिश तो करो… क्या पता ईश्वर की कृपा से हम दोनों एक हो जाएं? कल को तुम्हें सिवाय पछताने के कुछ नहीं हासिल होगा।
मैं तो नज़रें उठाकर समाज में चल सकूँगा लेकिन तुम मुझसे नज़रे तक न मिला सकोगी। तुम कायर कहलाओगी। आखिरी लम्हों में भी फैसला, रिजल्ट बदल सकता है, बशर्ते अंतिम सांस तक लड़ा जाए, कोशिश की जाए।”
“तुम मुझे कायर ही कह लेना, समझ लेना लेकिन मैं तुम्हें नहीं समझा सकती। बस इतना समझ लो कि हमारी शादी नहीं हो सकती। तुम्हारे मां-बाप जहाँ शादी के लिए बोलें, वहीं शादी कर लो। यही तुम्हारे लिए और मेरे लिए… दोनों के लिए अच्छा होगा।” यह कहकर रश्मि ने फोन कट कर दिया।
विपुल ने राशि को बहुत फोन किए, मैसेज किये, लेकिन उसने फोन उठाना तो दूर मैसेज का जवाब देना तक पसंद नहीं किया। रश्मि ने विपुल को ब्लॉक कर दिया था। विपुल को एहसास हो रहा था कि रश्मि की कायरता ने उसे कहीं का न छोड़ा। रश्मि ने उसकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया।
वह तो उसकी हर समस्या को दूर करने हेतु प्रयासरत था, लेकिन रश्मि की ओर से ही कोई कोशिश न की गई। उसे अपने मां-बाप की बात मानकर पहले ही शादी कर लेनी चाहिए थी। अब उसने सोच लिया था कि वह अपने माता पिता की पसन्द से शादी करेगा।
अपनी होने वाली पत्नी को बहुत प्यार देगा। वह अपनी जिंदगी में रश्मि को भूलकर आगे बढ़ेगा। अब वह भूलकर भी रश्मि से बात नहीं करेगा, उससे हमेशा हमेशा के लिए सम्बन्ध खत्म कर लेगा। इसी में सबकी भलाई है।
मैं रश्मि को कोई भी ऐसा मौका नहीं दूंगा जिससे मेरे परिवार की बदनामी हो और शादी के बाद मेरी होने वाली पत्नी मुझे गलत समझें, मुझे शक की निगाह से देखे। यह सोचकर विपुल ने रश्मि को भी व्हाट्सएप से और मोबाइल से दोनों जगह से हमेशा के ब्लॉक मार दिया।
कुछ ही दिनों बाद विपुल ने माता पिता की पसन्द की लड़की से शादी की। आज विपुल अपनी पत्नी के साथ खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहा है पर… कहीं न कहीं मन में कई सवाल भी उठते हैं कि रश्मि ने विपुल के साथ जो किया, क्या सही किया?
उसने विपुल से शादी न करने के सम्बंध में जो प्रतिक्रिया दी, क्या वह जायज़ थी? या फिर विपुल ने रश्मि को भूलकर जीवन में आगे बढ़ जाने का जो कदम उठाया… क्या वह वाकई न्यायोचित था?

लेखक:- डॉ० भूपेंद्र सिंह, अमरोहा
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