बस हमें ख़बर नहीं | khabar Shayari
बस हमें ख़बर नहीं
( Bas hamen khabar nahin )
देख पाये जो उसे ,ऐसी हर नज़र नहीं
हर जगह है वो ख़ुदा ,बस हमें ख़बर नहीं
सब मरेंगे एक दिन ,बात है ये लाज़मी
कोई इस जहान में, दोस्तो अमर नहीं
दिल मिला है गर तुझे ,तो मिलेगा दर्द भी
दर्द से तो बेख़बर कोई भी जिगर नहीं
तेरे ग़म को देखकर ,रोऊँ किस तरह न मैं
मोम सा है दिल मेरा ,ये कोई हजर नहीं
उम्र भर रही है बस ,धूप हमसफ़र मेरी
मेरी राह में कोई,दूर तक शजर नहीं
देर से सही मगर ,ख़्वाब पूरे तो हुए
दिल को है सुकून ये ,रायगाँ सफ़र नहीं
अपनी कमतरी पे तू ,इस कदर न रंज़ कर
जिसमें कुछ कमी न हो ,कोई भी बशर नहीं
कह रही तेरी नज़र ,तुझको प्यार मुझसे है
देखता हो क्यों इधर ,प्यार कुछ अगर नहीं
कोई चाहे कुछ कहे ,अपना है मिज़ाज ये
ख़र्च करते हैं बहुत,सोचते मगर नहीं
भीड़ से अलग चला ,रास्ता नया चुना
सबकी है जो रहगुज़र,मेरी वो डगर नहीं
चंद लफ़्ज़ों में जिसे,कर सकूँ बयान मैं
दास्तां ‘अहद’ मेरी इतनी मुख़्तसर नहीं