बेमानी

( Bemani )

 

हक़ीक़त दिलों की यहाँ किसने जानी है,
गहराई जितनी उतनी उलझी कहानी है।

अक्सर सूरत में छिप जाते है किरदार वरन
हर मुस्कुराते चेहरे की आँख में पानी है।

अपने ही किस्से में मशगूल रहे इस कदर
एहसासों की अनकही बातें किसने जानी है।

हरी हो टहनी तो सह लेती आंधी तूफान
सूखे दरख़्तों की शाँखें टूट जाती पुरानी है।

मतलबी दुनिया में कोई समझेगा दर्द तेरा
यह ‘आस’ किसी से भी रखना बेमानी है।

 

शैली भागवत ‘आस’
शिक्षाविद, कवयित्री एवं लेखिका

( इंदौर ) 

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