ख्वाब और हकीकत
ख्वाब और हकीकत

ख्वाब और हकीकत

( Khwab aur haqeeqat )

 

अब ख्वाबों में नहीं

 हकीकत जीता हूं यारों,

       ख्वाब सूर्य पकड़ा

       हकीकत जुगनू….

ख्वाब समुद्र में डुबकी लगाया

हकीकत तालाब …..

        अब ख्वाबों में नहीं

        हकीकत जीता हूं यारों,

ख्वाब  ईश्वर, पवन को देखा

हकीकत महसूस कर देखा.

       ख्वाब चांद पर घुमा,

       हकीकत धरती पर…

अब ख्वाबों में नहीं

हकीकत जीता हूं यारों,

    रात के ख्वाबों में न जाने

   कितने अरमान के फूल है खिलते ,

सुबह होते ही हकीकत में

सजे सब अरमान है खो जाते ,

   अब ख्वाबों में नहीं

       हकीकत जीता हूं यारों,

ख्वाबों में आकर वो

 हर इक रात मुलाकात है करती ,

       हकीकत सुबह में वो

       दिखाई नहीं दिया करती,

अब ख्वाबों में नहीं

हकीकत जीता हूं यारों,

ख्वाब है तुझे चांद के

      पार ले जाने का

हकीकत है हैसियत नहीं

  चांद पर जाने का ,

     अब ख्वाबों में नहीं

हकीकत जीते हैं यारों

ख्वाब ,सपने ये झूठे बेईमान है,

हकीकत अटल सत्य ईमान है नागा,

        अब ख्वाबों में नहीं

         हकीकत जीता यारों

       अब ख्वाबों में नहीं …..।।

 

 

Dheerendra

लेखक– धीरेंद्र सिंह नागा

(ग्राम -जवई,  पोस्ट-तिल्हापुर, जिला- कौशांबी )

उत्तर प्रदेश : Pin-212218

यह भी पढ़ें : 

गुरु | Guru par kavita in Hindi

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here