kinaro se puchho
kinaro se puchho

किनारों से पूछो

( Kinaro se puchho )

 

फिजाओं का आलम बहारों से पूछो।
दुल्हन की कहानी, कहारों से पूछो।।

 

कैसे खड़ी है जमाने की सुनकर,
मंजिल जहाँ में, सहारों से पूछो।।

 

तूफाँ में कश्ती हिलोरें से जो लेवे
न चलने का गम, किनारों से पूछो।।

 

ना चाहा था तुमको देखेंगे फिर से
मजबूरी नजर की, नजारों से पूछो।।

 

दवा बेबफाई की होती कहाँ है
टूटे हुए दिल की, दरारों से पूछो।।

 

दिल को लगाना खता न कोई है
“चंचल” खुद दिल से, हजारों से पूछो।

 

🌸

कवि भोले प्रसाद नेमा “चंचल”
हर्रई,  छिंदवाड़ा
( मध्य प्रदेश )

यह भी पढ़ें : –

दो जून की रोटी | Do joon ki roti | Kavita

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here