Ghazal guftagoo
Ghazal guftagoo

यार उससे भला गुफ़्तगू क्या करे

( Yaar usse bhala guftagoo kya kare )

 

 

यार उससे भला गुफ़्तगू क्या करे

छोड़ो भी यार अब तू मैं तू क्या करे

 

वो बनेगा हक़ीक़त में मेरा नहीं

प्यार की दिल जिसकी आरजू क्या करे

 

के  मिलेगी वफ़ा दोस्ती में नहीं

अब वफ़ा की यहाँ जुस्तजू क्या करे

 

हर तरफ़ नफ़रतों से भरी है आंखें

हां नजर  हां मगर  दू ब दू क्या करे

 

आशना जो बना ही नहीं है तेरा

चेहरा उसके  मगर रु ब रु क्या करे

 

दर्द की  रोज़ दिल में है आहें भरी

बात आज़म यहाँ फ़िर शुरु क्या करे

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

यह भी पढ़ें :-

न खुशियां मिली | Ghazal na khushiyan mili

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here