कितना है प्यार | Kitna Hai Pyar
कितना है प्यार
( Kitana Hai Pyar )
कितना है प्यार याद दिलाने की देर है
यानी कि दूर यार से जाने की देर है
इक राज़ को तमाशा बनाने में कितनी देर
अपने से दूसरे को बताने की देर है
इतना तुनक-मिज़ाज हूँ कमरा भी हर तरफ़
बिखरा हुआ मिलेगा सजाने की देर है
अर्ज़ो-समा का हो या दिलो-जां का हो सवाल
तुझको तो बस ज़बान पे लाने की देर है
तू रूठ कर तो देख मेरी जान एक बार
ये चाँद क्या है हाथ बढ़ाने की देर है
अंधे नहीँ हैं लोग ऐ मसनद-नशीं तेरे
जागे हुए हैं होश में आने की देर है
जितनी भी उसको होगी तेरी अहमियत ‘असद’
सब भूल जाएगा तुझे पाने की देर है
असद अकबराबादी