सुनाई देगी तुझे मेरी सिसकियाँ
( Sunai degi tujhe meri siskiyaan )
है प्यार देख लो दोनों के दर्मियाँ अब भी
उसी के नाम पे रुकती हैं हिचकियाँ अब भी
कभी छुपा के दी तुमने मुझे किताबों में
रखी हैं मैंने वो महफ़ूज चिट्ठियाँ अब भी
क़ुबूल होगी कभी तो दुआ ख़ुदा के दर
लगाता रहता हूँ मैं रोज़ अर्जियां अब भी
गिराये कोई नशेमन पे बिजलियाँ कितनी
तेरे ही दम से है जिन्दा ये बस्तियाँ अब भी
जहाँ से होता था दीदार तेरा ए हमदम
तका मैं करता हूँ पहरों वो खिडकियाँ अब भी
तेरी जुदाई में संदेश कितना रोया हूँ
सुनाई देगी तुझे मेरी सिसकियाँ अब भी