कुंडली

कुंडली | Kundli

अभि (अभिमन्यु) और प्रिया (सुप्रिया) की प्रेम कहानी वास्तव में एक अद्भुत और सुंदर दास्तान है जो हर किसी के दिल को छू जाती है। उनका प्यार इतना सच्चा और गहरा था कि वह हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता था। वे दोनों एक दूसरे के लिए बनें थे।

उनका प्रेम एक दूसरे के प्रति इतना गहरा और मजबूत था कि वह हर किसी को प्रेरित करता था। दोनों साथ में हमेशा खुश रहते थे, एक दूसरे से दूर होने पर खुद को बेजान महसूस करने लगते थे। वे एक दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहते थे। वे जल्द से जल्द शादी करके हमेशा के लिए एक होना चाहते थे।

अभि और प्रिया दोनों एक ही मोहल्ले में रहते थे लेकिन उनकी पहली मुलाकात उनके स्कूल में हुई थी। वे दोनों एक ही क्लास में पढ़ते थे, और जल्द ही वे अच्छे दोस्त बन गए। लेकिन जैसे जैसे समय बीतता गया, उनकी दोस्ती प्यार में बदल गई। वे दोनों एक दूसरे के साथ हर पल बिताना चाहते थे, और वे हमेशा एक दूसरे के लिए समय निकालते थे।

घर से लेकर कॉलेज तक उनके प्यार के चर्चे थे। दोनों ने साथ में ही बीएड में प्रवेश लिया था। जो भी उनको साथ में कॉलेज आते-जाते देखता, तो बस देखता ही रह जाता।

चपरासी से लेकर स्कूल मैनेजमेंट, अध्यापकों, सहपाठियों आदि, जो भी उनको साथ देखता तो एकटक निहारता ही रहता। उनके दिल से एक ही आवाज निकलती.. “कितनी खूबसूरत जोड़ी है दोनों की। दोनों साथ में कितने खुश नज़र आते हैं। भगवान इन दोनों की जोड़ी बनाये रखे। भगवान इन पर रहम करना। इनके प्रेम को किसी की नज़र न लगे। ये दोनों एक दूसरे के लिए ही बनें हैं। ईश्वर इनको जल्द से जल्द एक कर दे।”

कहते हैं न कि कोई भी मनपसंद चीज आसानी से कहाँ मिलती है? ईश्वर भी देने से पहले व्यक्ति का इम्तिहान लेता है कि जो चीज मैं इसको दे रहा हूँ, क्या यह उसके काबिल है भी या नहीं? वैसे भी भोजन व प्रेम लोगों की नज़र से छिपाकर करना चाहिए तथा दौलत को छिपाकर रखना चाहिए।

लोगों की नज़र बड़ी खराब होती हैं, अच्छे-अच्छों को खा जाती है। प्रेम के तो लाखों दुश्मन होते हैं। कोई किसी को खुश कैसे देख सकता है? हर खूबसूरत चीज, दूसरों की खुशी, उन्नति लोगों की आँखों मे खटकने लगती है। जिसका डर था वही हुआ। उनके प्रेम को भी जमाने की नज़र लग गई।

कहीं आग लगे और धुंआ ना उठे, ऐसा हो सकता है क्या? अभि और प्रिया के परिवारों को भी उनके प्यार की भनक लग गई थी। प्रिया के पिता अमरजीत ने प्रिया को बुलाकर अभि के बारे में पूछते हुए कहा-

“तुम कॉलेज पढ़ने के लिए जाती हो या अभि से इश्क़ लड़ाने? समाज में तुम दोनों ने हमारी इज्जत कहीं की नहीं छोड़ी। मोहल्ले में तो चर्चा हो ही रही थी, अब पूरे शहर/कॉलेज को इस बारे में पता चल गया है। यह गलत है।”

“पिताजी, अभि बहुत अच्छा लड़का है। मैं उससे बेहद प्यार करती हूँ। आपको तो पता ही है कि हम बचपन से एक साथ पढ़ते आए हैं। मैं अभि से शादी करना चाहती हूँ।”

“तुझे होश भी है कि तू क्या बोल रही है? तू जानती नहीं कि अभि और तेरी शादी नहीं हो सकती।”

“क्यों नहीं हो सकती पिताजी? आप तो हमारी शादी के पक्ष में थे। अब क्या हुआ?”

“यह मेरी गलती थी, जो मैने तुमसे अभि की शादी करवाने की बात कही। शायद इसलिए तुम दोनों एक दूसरे के इतने करीब आ गए। अब मैं ही तुमसे बोल रहा हूँ कि तुम अभि को भूल जाओ। वो इसलिए क्योंकि अभि हमारी कास्ट का नहीं है। हम चौधरी हैं और वह पंडित।”

“पिताजी, मैं जात-बिरादरी को नहीं मानती। आज दुनिया कितनी आगे बढ़ गई है और आप जात-बिरादरी के फेर में पड़े हो?”

“तुझे मैंने बताया है न कि मैं गलत था। अब गलती सुधार रहा हूँ। तुझे अभि को भूलना होगा। हमारी बिरादरी में लड़कों की कमी है क्या? एक से बढ़कर एक काबिल लड़का तेरे लिए मिल ही जाएगा।”

“पिताजी यह गलत है कि मैं प्यार किसी और से करूं, और शादी किसी और से?”

“मैं तेरी एक न सुनूंगा। तेरी जानकारी के लिए बता दूँ कि मैंनें तेरे लिए लड़का देख लिया है और तेरी शादी वहीं होगी, जहाँ मैं चाहूंगा।” अमरजीत दृढ़ता से बोले।

प्रिया ने फोन पर अभि को पिताजी से हुई सब बातें बताई। बातें सुनकर इधर अभि ने अपने पिता प्रशांत जी से अपनी प्रिया से शादी की इच्छा जताई। प्रशांत जी ने भी वही बात कही जो प्रिया के पिताजी ने प्रिया से कही थी।

उन्होंने भी जात-बिरादरी व समाज की दुहाई देकर प्रिया को भूल जाने की सलाह दी। प्रिया और अभि ने अपनी शादी के लिए अंत तक हरसंभव कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। मात्र एक माह के अंतराल पर ही दोनों की शादी.. अपने-अपने माता-पिता की रजामंदी से अलग-अलग हो गई।

दोनों के विवाह को मात्र 6 माह ही बीते थे कि रहस्यमय बुखार की चपेट में आकर प्रिया के पति काविन्द्र की असामयिक मौत हो गई। अब प्रिया अपने मायके आकर रहने लगी। प्रिया को गुमसुम, उदास, मायूस देखकर पिता अमरजीत और मम्मी विमला को बहुत दुख होता था।

प्रिया को मायके रहते हुए एक माह ही बीता था कि उधर अभि की पत्नी रजनी भी इस रहस्यमयी महामारी (बुखार) की चपेट में आकर मृत्यु के ग्रास में समा गई। अब पूरे मोहल्ले में फिर से प्रिया-अभि के विधवा और विधुर हो जाने की चर्चा थी।

प्रिया व अभि के माता-पिता ने अपनी जिद्द पूरी करने, सामाजिक दिखावा करने के चक्कर में अपने बच्चों की जिंदगी बर्बाद कर दी थी। कहीं ना कहीं ईश्वर को प्रिया-अभि के सच्चे प्यार के समक्ष झुकना पड़ा। हों ना हों, प्रिया के पति व अभि की पत्नी की असामयिक मृत्यु कहीं इन दोनों को फिर से मिलाने की ईश्वर की साजिश तो नहीं है?

दोनों की शादी भले ही अलग-अलग हो गई थी लेकिन एक दूसरे को न पाने की टीस उनमें हर पल रहती थी। उन्होंने साथ में इतने सारे खूबसूरत पल बिताए थे कि वे पल कहीं ना कहीं दोनों को एक दूसरे के करीब रखते थे। वे चाहकर भी एक दूसरे को भुला नहीं पा रहे थे।

ऐसा भी नहीं था कि उन दोनों ने अपनी पत्नी और पति को भरपूर प्यार ना दिया हो या उनसे दूरी बनाकर रखी हो। दोनों खुद को नए जीवनसाथी के साथ एडजस्ट करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन अपने-अपने जीवनसाथी की मृत्यु से दोनों को बहुत धक्का लगा।

लेकिन… ईश्वर की मर्जी के आगे किसकी चलती है? ईश्वर का क्रोध, अभिशाप मानकर व अपनी गलती सुधारने की दशा में कदम उठाते हुए प्रिया व अभि को मिलाने, एक करके शादी करने की जिम्मेदारी अब अमरजीत और प्रशांत ने उठाई। इस बारे में सलाह-मशविरा करने हेतु उन्होंने अपने-अपने परिवारों की एक सामूहिक बैठक आयोजित की। अभि और प्रिया भी उस बैठक में मौजूद थे। अभि के पिता प्रशांत ने बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा-

“अमरजीत और मुझे शुरू से ही प्रिया व अभि के प्रेम प्रसंगों के बारे में सब पता था। हम दोनों भी चाहते थे कि उनकी शादी हो जाए। हमारी दोस्ती रिश्तेदारी में बदल जाए। हमने प्रिया व अभि की शादी हेतु चोरी छुपे शादी की तैयारियां भी शुरू कर दी थी।

यह बात हमनें प्रिया व अभि से छुपाई। हम अभि व प्रिया को सरप्राइज देना चाहते थे। लेकिन जब हमने ज्योतिषाचार्य से उनकी आपस में कुंडलियां मिलवाई तो कुंडली में नाड़ी दोष पाया गया। ज्योतिषी ने हमें चेतावनी देते हुए कहा कि कुंडली में नाड़ी दोष पाए जाने पर यह विवाह नहीं हो सकता।

नाड़ी दोष में विवाह करना अशुभ होता है। यदि कुंडली में नाड़ी दोष होने पर भी वर वधू का विवाह कर दिया जाए तो उन्हें जीवन भर अनेक तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। दांपत्य जीवन खराब हो जाएगा। वर-वधू में तलाक तक की नौबत आ जाएगी।

साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि नाड़ी दोष की वजह से वर-वधू में से किसी एक की मृत्यु निश्चित है। हमने ज्योतिषी की बात पर और कुंडली पर भरोसा किया। ना चाहते हुए भी मजबूरी में हमने अपने बच्चों की भलाई के लिए… उनकी जिंदगी के लिए… उनकी खुशियों का गला घोंटकर, अपने दिल पर पत्थर रखकर हमने बच्चों की धूमधाम से… अच्छी जगह सुयोग्य वर-वधु तलाश कर एक माह के अंदर ही दोनों की शादी की ताकि दोनों अपने-अपने वैवाहिक जीवन में व्यस्त हो जाएं तथा व्यस्तता के कारण एक दूसरे की… किसी को याद ना आए। लेकिन क्या पता था कि मात्र 6 महीने में ही यह अनर्थ हो जाएगा? अभि की पत्नी रजनी और प्रिया के पति काविन्द्र की असामयिक रहस्यमय बीमारी से मृत्यु हो जाएगी?”

अब बोलने की बारी अमरजीत की थी। उन्होंने कहा-

“दोनों परिवारों के लोग यहां इसलिए एकत्रित हुए हैं कि जो गलती हमसे अनजाने में हो गई है, उसका सुधार पश्चाताप करते हुए हम प्रिया व अभि की शादी दोबारा करवा दें। इसी में सबकी भलाई है। ईश्वर ने हमें अपनी गलती के पश्चाताप व सुधार हेतु एक मौका और दिया है।

हम लोगों का ज्योतिष व कुंडली मिलान करने की प्रक्रिया से ही भरोसा उठ गया है। यह ज्योतिष वगैरह सब ढोंग है। हम सावित्री-सत्यवान की कहानी भूल गए कि किस तरह उसने यमराज से अपने पति के प्राण बचाये थे।

ईश्वर सर्वोपरि है। हमें अंधविश्वास को दर-किनार करके, वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाकर सही निर्णय लेने की सख्त जरूरत है। बच्चों की खुशी से बढ़कर कुछ नहीं होता। हर मां-बाप को यह बात समझनी चाहिए। इन बच्चों के आगे अभी पूरी जिंदगी पड़ी है। मेरी भी दिली-ख्वाहिश है कि मेरी बेटी प्रिया की शादी अभि से धूमधाम से हो। आप सभी की इसमें क्या राय है?”

दोनों परिवारों के मौजूद सदस्यों ने सहर्ष खुशी-खुशी दोनों की शादी के लिए रजामंदी दे दी। तय तिथि पर दोनों की शादी धूमधाम से संपन्न हुई। अभि और प्रिया की शादी को 10 वर्ष सकुशल बीत चुके हैं।

दोनों के दो प्यारे-प्यारे बच्चे हैं। दोनों अपने वैवाहिक जीवन में बेहद खुश हैं। अगर अभि और प्रिया के मां-बाप कुंडली मिलान के चक्कर में ना पड़ते तो वे कब के एक हो चुके होते। लेकिन जो होता है, अच्छे के लिए ही होता है। ईश्वर की माया कोई समझ नहीं पाया है। ईश्वर की मर्जी से पत्ता तक नहीं हिलता, हम इंसान तो बहुत छोटी चीज हैं।

लेखक:- डॉ० भूपेंद्र सिंह, अमरोहा

यह भी पढ़ें :-

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *