मैली चादर

( Maili Chadar )

यौवन का वो पड़ाव था,
हर बात से अनजान थी,
गांव की वो भोली लड़की,
अपने शारीरिक अंगों से भी अनजान थी,
एक रोज ना जाने क्या हुआ,
दर्द से उसका हाल बेहाल हुआ,
उठकर देखा जब खुद को,
रक्त से सना पाया खुद को,
हैरान थी देखकर अपनी चादर,
दाग लगा था कैसा उसपर,
देखकर ये सब सबने उसे अछूता कहा,
ना चाहते हुए भी उसने ये दर्द सहा,
सोच रही वो क्या उसने कोई पाप है किया,
किसने उसे यूं दागदार किया,
किसी ने मनाई खुशी इस दाग से,
किसी ने इससे दूरी बनाई,
पर कैसे किसी ने नहीं बताया उसे,
वो इस मैली चादर से ही तो रजस्वला कहलाई।।

 

आर.वी.टीना
बीकानेर ( राजस्थान )

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