क्यों मौत लिख कर कलम तक तोड़ दिया जाता है | Ghazal
क्यों मौत लिख कर कलम तक तोड़ दिया जाता है
( Kyon maut likh kar kalam tak tod diya jaata hai )
ज़िन्दगी का सफर क्या सिर्फ मौत तक है
वर्ना क्यों मौत लिख कर कलम तक तोड़ दिया जाता है
हम दीवाने को नज़र से ही लूट लिया जाता है
जो बात कभी हुई नहीं, उनका भी हिसाब किया जाता है
जुल्म की आबादी बढ़ रही है
कानून के अंधे होने से ही
गुनहगार को रिहा किया जाता है
बातों ही बातों में अपनों को बुलाया जाता है
हर कोई तुम सा नहीं होतो
बात करने में बोलो तुम्हारा क्या जाता है
गम-ए-आतिश की राह से गुजरने वाले तक से
यहाँ अश्क छुपाया जाता है
मुहब्बत के नाम पर हमदर्दी जताया जाता है
हमने कई ऐसे भी बज़्म देखे है
जहाँ दूकान इश्क़ का होता है
और कारोबार अपना चलाया जाता है
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शायर: स्वामी ध्यान अनंता