क्यों | Kyon
क्यों ?
( Kyon )
हाथ मिला उल्फत दिखलाते
दिल मिलने से क्यों घबराते?
हुस्न परस्ती के दीवाने
वस्फ की राह नही वे जाते।
दैर -ओ -हरम के ये बासिंदे
नफ़रत की दीवार बनाते ।
बातिल साज़ी बहुत हुई अब
कुछ तो वादे कभी निभाते ।
हरदम क्यूँ तकलीद करूं मैं |
क्यूंँ मेरी आवाज़ दबाते ।
कौल, मक़ूल दफ़न कर डाला
कोई न अब उम्मीद लगाते।
वाकिइय्यत से दिल घायल है
फिर भी मत कर झूठी बातें।
मेरे खुदा अम्न-ओ- आलम को
राह-ए-रास्त उन्हें दिखलाते।
जो सच-कार यहाँ है ‘याशी’
मुमकिन है काफ़िर कहलाते।
सुमन सिंह ‘याशी’
वास्को डा गामा,गोवा
उल्फत = लगाव स्नेह
हुस्न परस्ती = सौन्दर्य का पुजारी
दैर -ओ -हरम = मंदिर। मस्जिद के लोग
बातिल साज़ी= झूठ बोलना
तकलीद= अनुसरण, किसी के पीछे पीछे चलना
कौल = वादा
मकूल = कही हुई बातें
वाकिइय्यत= असलियत, सच्चाई का ज्ञान
अम्नो आलम= देश | विश्वशांति
राह-ए-रास्त = सही रास्ता
सचकार = सच बोलने वाला
काफ़िर = धर्मविरोधी
वस्फ= अन्दर की सुन्दरता,गुण