टीन का चश्मा | लघु नाटिका
टीन का चश्मा
( Laghu Natika )
( पति कुर्सी पर बैठे किताब पढ़ रहे हैं , पत्नि चाय लेकर आती है , चाय रखकर साड़ी के पल्लू से पसीना पोंछते हुए कुर्सी पर बैठती है )
पति – ( किताब में नज़र गड़ाए चाय का कप उठाते हुए ) कितना लिया ?
पत्नि – अखबार देखा ?
पति – क्या पास होने की उम्मीद है ?
पत्नि – डेढ़ किलो ।
पति – देखा था ।
पत्नि – लग तो रहा है इस बार ।
पति – कल नहीं मिली थी ।
पत्नि – बुखार था उसे , दवाई दे दी थी ।
पति – कुछ विशेष नहीं है ।
पत्नि – कल रात को देर तक पढ़ाई की थी ।
पति – चलो , समय तो मिला ।
पत्नि – पड़ोसी हमारी जमीन पर नव निर्माण कर रहा है ।
पति – पानी ज्यादा मिला रहा है आजकल ।
पत्नि – हो रहा है अभी तो ।
पति – गलती से छप गया होगा ।
पत्नि – बहुत काम पड़े हैं ।
पति – टोकना उसे ।
पत्नि – कुछ तो सच है ।
पति – परिणाम आने पर ही पता चलेगा ।
पत्नि – आज तो मिल गई ।
पति – बोल , पड़े पड़े ही पढ़ ले ।
पत्नि – कल टोका था , मना कर रहा है ।
पति – कुछ भी लिख दिया , मान लिया सच ।
पत्नि – नहीं माना तो दूसरे से लगा लेंगे ।
पति – काफी समय से बातचीत चल रही है ।
पत्नि – हो जाएगा , अगली साल देख लेंगे , हो जाएगा ।
पति – देखने में तो ईमानदार लगता है ।
पत्नि – कब तक चलेगी ?
पति – या उठकर घूम आए ।
पत्नि – मान जाएगा ?
पति – चल रही है मतलब चल रही है ।
पत्नि – अभी आराम कर लेने दो , फिर तो पिसना ही है ।
पति – यानि , आज तो मिल जाएगी ।
पत्नि – मतलब ?
पति – मतलब , कहा न चल रही है ।
पत्नि – उसे , खाने में पौष्टिक वस्तुएं देनी हैं ।
पति – अगर नहीं माने तो मैं बात करूं ?
पत्नि – कुछ काजू-बादाम वगैरह खिलाओ ।
पति – फिर भी भला तो है ।
पत्नि – कब तक चलेगा ?
पति – अंग लगे तब तो ।
पत्नि – हमें दिखाई क्यों नहीं देता ?
पति – थोड़ा तो चलता है ।
पत्नि – लगता है उठ गया ।
पति – दिखता है , क्या करें ?
पत्नि – मुँह धो रहा है ।
पति – चलो छोड़ो , मान जाएगा ।
पत्नि – रोकते क्यों नहीं ?
पति – क्योंकि हमने लगा लिया है टीन का चश्मा ।
शायर: गुस्ताख हिन्दुस्तानी
( बलजीत सिंह सारसर )
दिल्ली