लालच के दुष परिणाम
( Lalach ke dushparinam )
सभी की नस- नस में दौड़ता ख़ून हो रहा पानी,
जिंदगी खेलती उसी से जो बेहतर हो खिलाड़ी।
लालच बला बुरी है न रचना कभी कोई षड़यंत्र,
सोच समझकर काम करे शिक्षा का ये मूलमंत्र।।
परिश्रम सभी इतना करो कि किस्मत बोल उठें,
ले ले बेटा ये तेरी मेहनत का कमाया हुआ हक।
लोभ लालच और मोह माया से रहना सदा दूर,
मिलती खुशियाँ सदा उसी को प्यार भी भरपूर।।
दर्द सबके समान है हौसले सबके अलग थलग,
कोई निराशा से बिखरा कोई सघर्षों से निखरा।
न जानें अब किस किसका क़र्ज़ चुकाना बाकी,
अब और कितने दिन ग़म को छुपाऊ में साथी।।
कुछ हॅंस कर बोल दो कुछ हॅंस कर के टाल दो,
परेशानियाॅं तो भरमार है कुछ वक़्त पे डाल दो।
दर्द किस्मत वाले को मिलता है मेंरे प्यारे दोस्त,
मिलते ही दर्द अपनो की याद दिलाता है दोस्त।।
सारासच बता रहें है हम लालच में भी करें शर्म,
भ्रष्टाचार व बेईमान ये लालच के दुष्ट परिणाम।
सदा मन में लाऍं सुविचार बनें निर्बल मददगार,
धोखेबाज विश्वासघात सभी पर लगाऍं विराम।।