Geet Narayan ko Paoon
Geet Narayan ko Paoon

नर से नारायण को पाऊं

( Nar se Narayan ko paoon )

 

ढूंढ रहा तुझको नाथ, मैं कहो किधर को जाऊं।
करो कृपा करुणासागर, नर से नारायण को पाऊं।

मंदिर में दीप जलाता,आलोकित हृदय कर दाता।
मन का हर कोना दमके, रोशन करो विधाता।
सुंदर सुमनहार बुन, सुरभित लेकर पुष्प चढ़ाऊं।
महका दो मन की बगिया, द्वारे निशदिन आऊं।
नर से नारायण को पाऊं

शब्द शब्द स्वर गीत बने, भक्तिभाव में होकर चूर।
साधना आराधना तेरी, हो भाव भरे भजन भरपूर।
मनमोहक मूरत प्रभु तेरी, सुन ले सांवरिया गाऊं।
मन मंदिर में बजे घंटियां, ध्यान मग्न हो जाऊं।
नर से नारायण को पाऊं

दीनदयाला हे प्रतिपाला, सारे जग के पालनहार।
भवसिंधु के तारणहार, सारी सृष्टि के रचनाकार।
मन की मुरादे ले सांवरिया, मैं द्वार तिहारे आऊं।
हाथों में ले इकतारा प्यारे, मनमोहन तुझे रिझाऊं।
नर से नारायण को पाऊं

 

रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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