
माता लक्ष्मी जी
( Mata lakshmi ji )
मेरे मन-मंदिर में मैया आप करना सदा निवास,
जन्मों-जन्मों से भक्त हूॅं मैं उदय आपका दास।
मुझको है भरोसा आप पर और पूरा है विश्वास,
सुख शान्ति समृद्धि का मेरे घर में रखना वास।।
शरद पूर्णिमा के दिन हुआ माता आपका जन्म,
पुराणों के अनुसार महर्षि भृगु एवं ख्याति घर।
देवी दीप्ता वसुन्धरा विष्णुप्रिया पद्मिनी है नाम,
धन रत्नों की देवी ने विवाह किया था स्वयंवर।
बरसाते रहना मैया लक्ष्मी मुझ पर ऐसी बौछार,
दिन दोगुनी रात चौगुनी मुझे मिलता रहें प्यार।
कृपा दृष्टि बनाऍं रहना मेंरे सिर पर रखना हाथ,
बाल न बाॅंका कर सकें बनकर रहना हथियार।।
कुमकुम लगे क़दमों से आना माॅं आप मेरे द्वार,
लक्ष्य तक पहुॅंचाने वाली देवी दिन है शुक्रवार।
बिन तेरे सारा जगत है माता निर्धन एवं लाचार,
ज़िंदगी में खुशियाॅं दे जाना भर जाना भण्डार।।
दीवाली पर करतें हम सभी लक्ष्मी पूजन ख़ास,
क्षीरसागर में आपका भगवन विष्णु संग वास।
माॅं लक्ष्मी संग कुबेरदेव की पूजा का है विधान,
इस दिन सायं में दीप जलाकर पूजते आवास।।