
एकता व देश प्रेमी लौहपुरुष
( Ekta va desh premi loh purush )
काश अगर मैं एक गायक होता,
हमारे सामने भी एक माइक होता।
माइक वह पूरा लोहे का ही बना होता,
लोहा सरदार वल्लभभाई पटेल को कहा जाता ।।
उनकी याद में हम-सब फूल चढ़ाते,
अन्याय यह बिलकुल सहन नही करतें।
यही प्रथम गृहमंत्री उप-प्रधानमंत्री थे हमारे,
यही महान आत्मा कभी पुस्तकें मांगकर पढ़ते ।।
आवाज़ उनकी जैसे सिंह की दहाड़,
हृदय था कोमल और बड़ा ही विशाल।
दुश्मन के लिए लोहा और ग़रीबों के सरदार,
झवेरभाई पटेल लाडबादेवी की ये चौथी संतान।।
वकालत करके यह लोकप्रिय बन गऐ,
किसानों के लिए अनेंक संघर्ष यह किऐ।
सैनिटेशन कमिश्नर चुनावों में यह विजय रहें,
भारत एकीकरण में भी महान योगदान ये दिऐ ।।
लौहपुरुष के नाम जानतें है हम इनको,
बिना खून बहाएं रियासतें एक किया सबको।
सी आर पी एफ का नाम व ध्वज दिया हमको,
एकता और देश प्रेमी का पाठ पढ़ा गए सबको।।

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )