
लोक आस्था का महापर्व छठ
( Lok Aastha ka Mahaparv Chhath )
लोक आस्था का महापर्व है,
अद्भुत है फलदाई।
तन मन की सब विपदा हरती,
देवी छठी माई।
चार दिनों तक चलता रहता,
छठ का अनुष्ठान,
संयम और नियमपूर्वक सब,
होते विधि-विधान।
भक्तिमय माहौल में पूजन-
अर्चन है सुखदाई।
लोक आस्था का महापर्व है,
अद्भुत है फलदाई।
सब मिलजुल के उत्सव में,
बढ़ चढ़कर लेते हिस्सा,
भक्तिभाव से सुनते हैं हम,
पर्व-प्रभाव का किस्सा।
सब की कामना पूरी होती,
जिसने भी आस लगाई।
लोक आस्था का महापर्व है,
अद्भुत है फलदाई।
इस त्योहार से बढ़के कोई,
उत्सव नहीं है दूजा,
विविध रंग के सामानों से,
होती कुदरत की पूजा।
देकर अर्घ्य सूर्यदेव को हम,
करते हैं सेवकाई ।
लोक आस्था का महापर्व है,
अद्भुत है फलदाई।
कवि : बिनोद बेगाना
जमशेदपुर, झारखंड
आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ बहुत अच्छा लिखते है सर जी |
जय हो छठ मैया सभी को सुख, शांति,सम्रिथि देना |