Maa Bharti
Maa Bharti

अभिनन्दन मां भारती

( Abhinandan hai maa bharti ) 

 

अभिनन्दन है मां भारती तुम्हारा,
जन्म हुआ जो भारत वर्ष हमारा।
तुम ही सारे इस जगत की माता,
अवतरित हुएं ‌यहां स्वयं विधाता।।

भू भूमि धरती जमीन एवं वसुधा,
मही धरणी अचला उर्वी वसुंधरा।
धरित्री क्षिति अचला व रत्नगर्भा,
पृथ्वी और कहते है तुझको धरा।।

पत्थर औषधि एवं रत्नों की खान,
भूमि देवी भी है आपका ही नाम।
जल थल नदी समुन्द्र और पहाड़,
द्वीप द्वीपांतर देश नगर बसें ग्राम।।

अन्न पैदा करनें वाली है अन्नपूर्णा,
भार हम सबका है तुम्हीं पे सारा।
त्रेतायुग के आरंभ में जन्मी आप,
कंद-मूल खाता ‌है तेरा जग सारा।।

तुमसे माया और है हमारी काया,
भगवान विष्णु का तुम हो छाया।
दूर- दूर तक फैला तेरा उजियारा,
स्थिर है आप जल के ऊपर मैया।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here