मां ब्रह्मचारिणी | Maa Brahmacharini
मां ब्रह्मचारिणी
( Maa Brahmacharini )
( 2 )
दूजा माँ का रूप है, ब्रह्मचारिणी जान।
हस्त कमण्डलु घोर तप, निरत सघन जप- ध्यान।।
ब्रह्मचारिणी मातु की, करें वंदना भक्त।
पूज रहे माँ के चरण, लगा आलता रक्त।।
कष्टों की बरसात में, भीग रही हर बार।
माँ सिर पर छाया करो, आऊँ जब भी द्वार।।
रजनी गुप्ता ‘पूनम चंद्रिका’
लखनऊ, उत्तर प्रदेश
( 1 )
जीवन पथ ज्योतिर्मय, मां ब्रह्मचारिणी उपासना से
नवरात्र द्वितीय परम बेला,
रज रज आध्यात्म सराबोर ।
भक्तजन शीर्ष स्तुति भाव,
भक्ति आह्लाद चारों ओर ।
मां ब्रह्मचारिणी वंदन अभिनंदन,
मंगल पावन हिय भावना से ।
जीवन पथ ज्योतिर्मय, मां ब्रह्मचारिणी उपासना से ।।
अमोध फलदायिनी आभा,
अद्भुत अनुपम व विशेष ।
दुःख कष्ट पीड़ा विलोपन,
सुख समृद्धि आनंद अधिशेष ।
सुयश, विजय अनंत आशीष ,
मां श्री चरण आराधना से ।
जीवन पथ ज्योतिर्मय,मां ब्रह्मचारिणी उपासना से ।।
स्व अधिष्ठान चक्र स्थिरता ,
मां साधना अति फलकारी ।
ब्रह्म रूपा दिव्य दर्शन,
लोक परलोक बलिहारी ।
त्याग तपस्या सदाचार संयम,
श्रृंगारित अभिवृद्धि कामना से ।
जीवन पथ ज्योतिर्मय, मां ब्रह्मचारिणी उपासना से ।।
कुंडलिनी शक्ति चैतन्यता,
निर्मित अहम भव्य संजोग ।
अखंड जप तप साधना,
ज्ञान सह आत्मबल अनुप्रयोग ।
उपमा अर्पणा ,उमा ,तपश्चरिणी,
मां असीम कृपा स्तवन पूजा अर्चना से ।
जीवन पथ ज्योतिर्मय, मां ब्रह्मचारिणी उपासना से ।।
नवलगढ़ (राजस्थान)