Maa Durga ke Pratham Roop

मां दुर्गा के प्रथम रूप

( Maa durga ke pratham roop ) 

 

मां दुर्गा के प्रथम रूप पर, सारा जग बलिहारी

शैलपुत्री मंगल आगमन,
सर्वत्र आध्यात्म उजास ।
नवरात्र शुभ आरंभ बेला,
परिवेश उमंग उल्लास ।
योग साधना श्री गणेश,
साधक मूलाधार चक्र धारी ।
मां दुर्गा के प्रथम रूप पर, सारा जग बलिहारी।।

हिमालय सुता भव्य दर्शन,
मनमोहक असीम फलदायक ।
सुख समृद्धि सरित प्रवाह,
जन चेतना स्नेह प्रेम नायक ।
वर्षभ आरूढ़ त्रिशूल कमल धर,
मां दुःख कष्ट पीड़ा उपचारी ।
मां दुर्गा के प्रथम रूप पर, सारा जग बलिहारी ।।

पूर्व जन्म मां शैल पुत्री,
प्रजापति दक्ष दिव्य कन्या ।
परिणय शिव शंकर संग,
शोभित सती नाम अनन्या ।
फिर पितृ यज्ञ पति अनादर ,
निज प्राण योगाग्नि वारी ।
मां दुर्गा के प्रथम रूप पर, सारा जग बलिहारी ।।

हिमपुत्री स्वरूपा मां दुर्गा,
महत्ता अलौकिक अपार ।
जीवन सम प्रसून खिलता,
अंतर्मन सुरभि आनंद बहार ।
कोटि कोटि नमन श्री चरण,
मां भक्तजन हित सदा कृपासिंधु अवतारी ।
मां दुर्गा के प्रथम रूप पर, सारा जग बलिहारी ।।

 

महेन्द्र कुमार

नवलगढ़ (राजस्थान)

यह भी पढ़ें :-

नवरात्र के प्रसाद में | Navratra

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here