नवरात्र के प्रसाद में | Navratra
नवरात्र के प्रसाद में
( Navratra ke Prasad mein )
सृजनात्मकता प्रस्सपुरण,नवरात्र के प्रसाद में
परम काल चेतना जागरण,
रज रज मांगलिक भोर ।
नव नौ रूप मां अनूप दर्शन,
शक्ति भक्ति अलौकिक छोर ।
तमोगुणी शोध विवेचना,
जय माता दी संवाद में ।
सृजनात्मकता प्रस्सपुरण, नवरात्र के प्रसाद में ।।
आराधना शीर्ष स्पर्शन,
दिव्यता रग रग रमन ।
सतो गुणी महत्ता प्रस्फुटन,
रजो आवेश मूल शमन ।
अंतः शुद्धि महापर्व वंदन,
मातृ स्तुति आह्लाद में ।
सृजनात्मकता प्रस्सपुरण, नवरात्र के प्रसाद में ।।
नवरात्र दिव्य भव्य बेला
तन मन परिष्करण अनंत ।
सर्वत्र दर्शित असीम शुभता,
मानवता श्रृंगार सम संत ।
अथाह कृपा वृष्टि मां दुर्गा,
भक्तजन अपरम आनंद आस्वाद में।
सृजनात्मकता प्रस्सपुरण, नवरात्र के प्रसाद में ।।
सनातन संस्कृति आर्तभाव,
नारी शक्ति मान सम्मान ।
दानवी सूर्य अस्ताचल,
देवत्व अवतरण आह्वान ।
भजन कीर्तन प्रार्थना अहम,
मां असीम खुशियां प्रतिपाद में।
सृजनात्मकता प्रस्सपुरण, नवरात्र के प्रसाद में ।।
महेन्द्र कुमार
नवलगढ़ (राजस्थान)