मांँ जीवन की भोर | Maa poem in Hindi
मांँ जीवन की भोर
( Maa jeevan ki bhor )
मांँ तो फिर भी मांँ होती है हर मर्ज की दवा होती।
आंँचल में संसार सुखों का हर मुश्किलें हवा होती।
मोहक झरता प्रेम प्यार बहाती पावन संस्कार से।
आशीष स्नेह मोती बांटती माता अपने दुलार से।
मांँ की ममता सुखसागर पल पल खुशियां होती।
मांँ के चरणों में स्वर्ग बसा मांँ जलता दीया होती।
आंख का तारा हमें बना खुद राहें दिखलाती है।
हर मुश्किल हर संकट से चट्टानों से भीड़ जाती है।
मांँ की दुआ से निकले हर शब्द में शक्ति होती है।
अमोध अस्त्र ढाल बने मांँ तीर्थ भक्ति होती है।
मांँ से प्यारा इस दुनिया में ना होता कोई और।
नेह की बहती अमृतधारा मांँ जीवन की भोर।
मांँ की छत्रछाया में खिली घर की फुलवारी होती।
यश कीर्ति विजय मिलती साथ दुनिया सारी होती।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )