प्रेयसी सी लगती मधुशाला

 

दुःख कष्ट पीड़ा संग,
परम मैत्री अनुभूति ।
असफलता बिंदु पर ,
नवल प्रेरणा ज्योति ।
सघन तिमिर हरण कर ,
फैलाती अंतर उजाला ।
प्रेयसी सी लगती मधुशाला ।।

तन मन पट नव चेतना,
उत्साह उमंग अपार ।
अपनत्व सा मृदुल स्पर्श ,
अंतर्द्वन्द अवसानित धार ।
अदम्य हौसली उड़ान भर,
मूर्त दर्शन भव्य स्वप्नमाला ।
प्रेयसी सी लगती मधुशाला।।

थकान हताशा नैराश्य दूर ,
पाकर स्नेहिल सानिध्य ।
कदम चाल मस्त मलंग,
अवसाद हनन माध्य साध्य ।
असीम खुशियां उर पटल ,
व्यवहार बिंब नेह ढाला ।
प्रेयसी सी लगती मधुशाला।।

अंतिम आशा किरण बन ,
संवेदनाएं करती जीवंत ।
स्पंदन कर विश्राम का ,
ओज ऊर्जा संचार अनंत ।
विचरण कर यथार्थ पथ पर,
सदा पटाक्षेप दृष्टि भ्रम जाला ।
प्रेयसी सी लगती मधुशाला।।

महेन्द्र कुमार

नवलगढ़ (राजस्थान)

यह भी पढ़ें :-

सीता नवमी | Kavita Sita Navami

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here