जिंदगी की कहानी | Ghazal Zindagi ki Kahani
जिंदगी की कहानी
( Zindagi ki Kahani )
कहूँ किस तरह जिंदगी की कहानी
घिरी दर्द में ही रही जिंदगानी
कभी अपने तो गैरों ने भी रुलाया
भरा ही रहा दोनों आँख ही पानी
क़दम पर क़दम दर्द था थी घुटन भी
पड़ी जिंदगी से उसे भी निभानी
बुने साथ में ख्वाब जब कहकशाँ में
भुलाई गई कब कभी शब सुहानी
चढ़ी इश्क़ जब सिर रहे हम न हम तब
दिवानी हुई इश्क़ की तब ये रानी
मिटाया कभी इश्क़ के वास्ते जाँ
हुई भी सफल तब ‘सुधा’ वो जवानी