Maharana Pratap veer ras Kavita
Maharana Pratap veer ras Kavita

शिरोमणि महाराणा प्रताप

( Shiromani Maharana Pratap )

 

जेष्ठ मास शुुक्ल पक्ष की

तृतीया को मनाते जयंती

लिया जन्म महाराणा ने

कुंभलगढ़ के दुर्ग में

उदय सिंह  पिता थे उनके

तो जयवंत कबर माता थी

वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप

पौत्र राणा सांगा के

चेतक था प्रिय घोड़ा उनका

कवच पहन 72 किलो का

हाथ में भाला 81 किलो का

208 किलो का वजन पहन

कर उतरते थे जंगे मैदानों में

अभिषेक गोगुंदा में हुआ

छापामार युद्ध प्रणाली थी

हल्दीघाटी का युद्ध लड़ा

सर अपना झुकने ना दिया

कीका था बचपन का नाम

राजपूतों की थे वह शान

गुरिल्ला युद्ध नीति से

देते से दुश्मन को मात

शीश झुका ना हार मानी

घास फूस की रोटी खा ली

अरावली पर्वत की शरण ली

भामाशाह ने हाथ बढ़ाया

धन अशर्फी चरण चढ़ाया

भीलो का सहयोग मिला

प्रताप ने शंखनाद किया

लोगों में फिर प्राण फुके

फिर सेना को गठित किया

हार न मानी युद्ध किया

शिवभक्त थे वह बड़े

मुगलों की दासता को

चुनौतीदेअस्वीकार किया

अधीनता स्वीकार नहीं

सालों तक संघर्ष किया

शौर्य वीर पराक्रमी थे

 दृढ़ प्रतिज्ञ सदा अमर रहे

 

डॉ प्रीति सुरेंद्र सिंह परमार
टीकमगढ़ ( मध्य प्रदेश )

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