माहिया | Mahiya
माहिया
( Mahiya )
कुछ माहिए
*
माना के प्रीत नहीं,
मुख को मोड़ चले
अपनी ये रीत नहीं ।।
हमने न गुमान किया,
अपने तो अपने,
गैरों को मान दिया ।।
दिल जां हम हार दिये
मानो ना मानो,
सब तुम पर वार दिए।।
कांटें बन फूल गए,
पाकर तुमको हम,
लिखना ही भूल गए।।
कहने की बात नहीं
दिल न लगता है
होते तुम साथ नहीं।।
—o—
महका महका ये तन,
चाहत में तेरी,
बहका बहका ये मन !! १ !!
*
अनजाना सा होकर,
मन खुश कब होता,
सब चैन सुकूँ खोकर !! २ !!
*
यह वक्त बताता है,
भर जाना इक दिन
यह जख्म जो ताजा है !! ३ !!
*
तन्हाई मिलती है
यार नहीं मिलता,
परछाई मिलती है !! ४ !!
*
सबको खुश दिखता हूँ,
शायर बनकर मैं,
दिल का गम लिखता हूँ !! ५ !!
*
———–
मौसम मनभावन में,
छोड़ गए साज़न,
तन्हा इस सावन में ।।
शोला सा उठता है
बरसे जब बदरा
मन रह रह घुटता है ।।।
मुझको भी लेकर चल
छोडो ना साज़न,
ना जाने क्या हो कल ।।
दिल तुझ पर वारा है,
अपना दिल औ जां,
सब तुझ पर हारा है।।
बैरी इस सावन ने
आग लगाई है,
मेरे मन आँगन में ।।
—–
आँखे जब जब बरसे
मिलने को तुमसे
मन अपना है तरसे !! १ !!
फूलों में कलियों में,
ढूंढे दिल तुमको,
बाग़ों में गलियों में !! २ !!
जब दिल मिल जायेंगे,
झूमेगा यह मन,
उपवन खिल जायेंगे !! ३ !!
सागर भी बहका है,
गोरी का अल्हड़
यौवन जब छलका है !! ४ !!
जब जब सावन बरसे,
तब तब मन भींगा
यौवन रह रह तरसे !! ५ !!
—–
आया फाग महीना
सुन ले रे साजन,
मुश्किल तन्हा जीना !! १ !!
आयो घूमत घूमत
फागुन बासंती,
तन-मन मोरा झूमत !! २ !!
पतझड़ के मौसम में,
खिलने को कलियाँ,
आतुर है गुलशन में !! ३ !!
बगियन कोयल कूके,
मीठी वाणी से,
तन मन मेरा फूंके !! ४ !!
जब जब तुम आते हो,
मिलके तुम हमसे,
प्रीत जगा जाते हो !! ५ !!
सोच रही ये कब से
होली खेलन को,
मन मोरा है तरसे !! ६ !!
—-
फूलों का मौसम है,
अब तो मिल जाओ,
मिलने का मौसम है !!
*
खेतों में खिल आई,
सरसों पीली पीली,
रुत बसंत की छाई !!
*
ये दिल तुम पे आया,
जब से देखा है,
इसने तेरा ये साया !!
*
कितना कुछ झेला है,
मिलने को ये दिल ,
बेताब अकेला है !!
*
इस घर मन मंदिर में,
तस्वीर सजी है,
आँखों के अन्दर में !!
*
आया दिन लोहड़ी दा,
त्यौहार मनावे
ये गुड़ तिल जोड़ी का !!
*
पक आई है फसले,
खेतों में अब तो,
दिल खोल के तू हँसले !!
*
हम आग जलावाँगें
नाचें गायेंगे
अब धूम मचावाँगें !!
डी के निवातिया