बेटियां : हाइकु
बेटियां
बेटी का धन,
लक्ष्मी, विद्या, पार्वती,
जैसा है मन।।१।।
धान सी फलें,
परिवार की जड़,
फूल सी खिले ।।२।।
बेटी चहके,
घर आँगन ज्यों
पुष्प महके ।।३।।
ईश सजीव,
बेटियां होती है,
जग की नींव ।।४।।
बिछा के मन,
बेटियों बना देती,
मकाँ को घर।।5।।
बेटी की छाँव,
जहां पड़ते पाँव,
स्वर्ग सी ठाँव ।।6।।
कैसा भी दौर,
बिटियाँ के हाथों में,
जग की डोर ।।7।।
डी के निवातिया