माई | Mai
माई
( Mai )
आओ शिवानी, सुनो शिवानी
दर्द में डूबी मेरी कहानी
तब, तड़प उठा था मेरा हृदय चारों ओर
धुंधल के छाए थे जब बेमौत मरी मेरी ममता को
हाथों में लोग उठाए थे
कुएं से लाश निकाले थे
अग्निशमन दल के लोग वो निकले थे
बेमौत मरी वह अबला थी
कह न सकूं वह मेरी माई थी
पाल न पाई वह मुझको
अनपढ़ अज्ञानी वह पगली थी
टकराकर कर अपनों के आगे
कुएं में छलांग लगा ली थी
कर न सका था कुछ मैं अबोध
आ गया था उसे जलाकर
रोती है वह आज भी मेरे खातिर
मेरे सपनों में आकर
देखो जिंदा हूं मैं अब तक
पर मां को अपने रख न सका था जिंदा
प्रश्न यही उठता है हरदम
क्या मर कर भी मां रहती है जिंदा !
वह आज भी रोती है मेरी खातिर
पर देखो हूं मैं अभागा या शातिर!?
आओ शिवानी, सुनो शिवानी दर्द में डूबी मेरी कहानी
( मुंबई )