Main Tadapati Rahi
Main Tadapati Rahi

मैं तड़पती रही लोग वीडियो बनाते रहें

( Main tadapati rahi log video banate rahe ) 

 

लगता है यह इंसानियत धीरे-धीरे सभी की मर गई,
गांव चाहें शहर हो महिलाएं कही भी सुरक्षित नही।
इंसानों की बस्ती में आज इन्सानियत दफ़न हो गई,
मरहम लगाना तो दूर की बात घाव कर रहें है वही।।

इस कलयुग में रावण और दुशासन यहां पर है कई,
किसे भी न आई मुझ पे दया तड़प रही थी मैं वहीं।
बना रहें थें मोबाइल से वह फोटो और वीडियो मेरी,
बहुत कायरता आ गई इन्सानों में यह बात है सही।।

जान दे दी मेंने तड़प-कर पर मदद कोई किया नही,
सुबह से शाम ये हो गई पर मैं तड़पती ही रही वही।
ख़ून से लथपथ बीच बाजार बेहोश हालत पड़ी रही,
अस्पताल पहुंचाएं घायल को हमदर्दी दिखाएं नही।।

देखकर अनदेखा करें नपुंसक से कम वें पुरुष नही,
स्वयं पर कभी विपदाएं आए तो याद करते हैं वही‌।
बढ़ रहें है अपराधी और बलात्कारियों के ये हौंसले,
इंसान हो इंसान ही रहों जानवर न बन जाना कही।।

घटना हो चाहें दुर्घटना प्रसव पीड़ा या हो कांड कोई,
देख लेनें पर जीवन बचाये अस्पताल पहुंचाएं वही।
अपना सभी जमीर जगाओं ऐसी क्रांति लाओ कोई,
दोषी-दरिंदों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना बात सही।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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