मैं तुम्हें चाहने लगा

( Main tumhe chahne laga )

प्रणय अनुबंध पर,मैं तुम्हें चाहने लगा

प्रेम पथ जगी लगन ,
तन मन अथाह मगन ।
देख दिव्य अक्स तुम्हारा,
हृदय मधुर गाने लगा ।
प्रणय अनुबंध पर,मैं तुम्हें चाहने लगा ।।

मुझे लगी जो सनक ,
सबको हो गई भनक ।
हर पल जीवन पर,
नशा सा अब छाने लगा ।
प्रणय अनुबंध पर,मैं तुम्हें चाहने लगा ।।

हर जगह तुम्हारा रूप ,
ढलने लगा उसी अनुरूप ।
अधरों पर सबसे पहले,
नाम तुम्हारा आने लगा ।
प्रणय अनुबंध पर, मैं तुम्हें चाहने लगा ।।

अंतर्मन घुंघुरू बजने लगे ,
तुम्हारी तरह सजने लगे ।
देखकर तुम्हें धीरे धीरे,
दुनिया का मोह जाने लगा ।
प्रणय अनुबंध पर, मैं तुम्हें चाहने लगा ।।

कानों में तुम्हारा स्वर ,
विरह में तुम्हीं परवर ।
अनुभूत कर तुम्हारी सौरभ,
असीम आनंद आने लगा ।
प्रणय अनुबंध पर,मैं तुम्हें चाहने लगा ।।

महेन्द्र कुमार

नवलगढ़ (राजस्थान)

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