
कोमल कम्प्यूटर
( Komal Computer )
मैं हूॅं रामू काका नेक,
नाम काल्पनिक मेरा एक।
रहता नजदीक शहर के एक,
लगी रहती जहां भीड़ अनेंक।।
मात-पिता का लेकर आशीष,
पूजा-पाठ करता सुबह ठीक।
आ जाता मैं समय से दुकान,
जो है ई-मित्र की दुकान ठीक।।
कोमल कम्प्यूटर के नाम दुकान,
इन्टरनेट एवं फोन रिचार्ज दुकान।
स्टाम्प, आधार और राशनकार्ड,
फैक्स, फोटो स्टेट व लेमिनेशन।।
कार्य होता यहां पर हाथों-हाथ,
जो पाॅवर हाउस के सामने है एक।
बोर्ड लगा है यहां सामने ही एक,
दुकान जो है काका की एक।।
नजदीक में है यहां मेरा गांव,
है परसोया की ढ़ाणी जो एक।
रहता मेरा सारा परिवार वहां,
लेकिन हम भाई रहते है यहां।।
कभी कबार हम जातें है वहां,
घर-परिवार से मिलते है वहां।
संपूर्ण गांव है सुखी और सम्पन्न,
हम भी चारों भाई है सम्पन्न।।
देखें है दुःख हमने बहुत भाई,
आज खड़े है पैरों पर भाई।
रच दी कविता गणपत ने एक,
मैं रामनिवास परसोया हूॅं नेक।।