जीवन आदर्श | Jeevan Adarsh
जीवन आदर्श
( Jeevan adarsh )

( Jeevan adarsh )
होली खेलां श्याम फागणियो आयो ( Holi khelan shyam fagniyo aayo ) आओ प्यारा घनश्याम खेलंगा होळी फागण मं भर ल्याओ पिचकारी रंगा की थोड़ी फागण में मस्तानों फागण आयो, मोहन मीठी तान सुणायो। गीत धमालां गावे रसिया, रंग खुशी को छायो। राधा झुमै कान्हो झूमै, दुनिया नाचै आंगणं मं। आओ गोरी…
भारतीय संस्कृति! ( Bhartiya Sanskriti ) अपने हाथों अपनी संस्कृति मिटा रहे हैं लोग, जिसे देखा ही नहीं उसे खुदा कह रहे हैं लोग। पहुँचाना तो था अंतिम साँस को मोक्ष के द्वार, संस्कारों से देखो फासला बढ़ा रहे हैं लोग। दधीचि की अस्थियों से ही देवता बनाए थे वज्र, आखिर क्यों बाल्मीक बनना…
उर तृषा सदा तृप्त ( Ur trisha sada tript ) उर तृषा सदा तृप्त, नेह से संसर्ग कर पगडंडियां व्याकुल दिग्भ्रमित, उच्चवाचन मरीचि प्रभाव । सुख समृद्धि मंगलता दूर, निर्णयन क्षमता अभाव । अथक श्रम सफलता चाहना, विराम पल उत्सर्ग कर । उर तृषा सदा तृप्त, नेह से संसर्ग कर ।। नैतिक आचार विचार,…
अभी दिल भरा नहीं ( Abhi dil bhara nahin ) अभी दिल भरा नही, अभी मन भरा नही, क्यो जाते हों छोड़ के, अभी कुछ हुआ नहीं। अभी मन मिले नही, अभी अधर मिले नही, मंजिल अभी दूर है, सच्चे साथी मिले नही। दिल के फूल खिले नही, मन के मैल धुले…
मत उलझो तुम सवालों में ( Mat uljho tum sawalon mein ) क्या सोचेंगे दुनिया वाले, तो रह लेना हर हालों में। चलते जाना मंजिल को, मत उलझो तुम सवालों में। बाधाएं भी नजर आएंगी, मुश्किलें भी बहकाएंगी। अड़चनों को पार करना, प्यारे मंजिल मिल जाएगी। प्रलोभन में पड़ न जाना, फंस मत जाना…
कोप कुदरत का ( Kop kudrat ka ) कुदरत कोप कर रही सारी आंधी तूफान और महामारी फिर भी समझ न पाया इंसां भूल हुई है अब हमसे भारी खनन कर खोखली कर दी पावन गंगा में गंदगी भर दी पहाड़ों के पत्थर खूब तोड़े खुद ही खुद के भाग्य फोड़े सड़के …