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मन

( Man ) 

 

मन की अशुद्धता मे प्रीत नही होती
मन की चंचलता मे जीत नही होती
मन की व्याकुलता मे गीत नही होती
मन की अस्थिरता मे संगीत नही होती

मन एक मध्य की स्थिति है
ज्ञान भाव से परे की प्रवृत्ति है
रंग,रूप,स्पर्श आदि से प्रभावित है
मन सब के लिए ही अनुत्तरित है

मन कल्पना का निवासी है
मन हर सुख का अभिलाषी है
मन भोगी और विलासी है
मन से ही मथुरा और काशी है

अंकुश मात्र ही मन का स्वामी है
दृढ़ता पर ही इसकी ना और हामी है
मन मतंग यह तो हर पथ गामी है
संयम,बुद्धि ,विवेक पर ही सलामी है

संभलकर ही सुनना बातें मन की
हरबार मिलती नही उपलब्धि तन की
आपके ही हांथ है डोर भी जीवन की
डूबा हर इंसान जो किया है मन की

 

मोहन तिवारी

( मुंबई )

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