मानव, पानी और कहानी
मानव, पानी और कहानी
जीवन झर झर झरता,
है झरने सा,
झरना झर झर बहता,
है जीवन सा,
मानव के ऑखो मे पानी,
नदी, कूप, तालों मे पानी,
पानी की कलकल है जरूरी,
ऑखों की छलछल है जरूरी,
मानव, पानी और कहानी,
है धरती की यही निशानी,
जीवन की जो कहानी है,
झरने में बहता पानी है,
खतम हुआ जो पानी,
समझो खतम कहानी।
रचना: आभा गुप्ता
इंदौर (म.प्र.)