यह वक्त भी निकल जाएगा | Kavita ye waqt bhi nikal jayega
यह वक्त भी निकल जाएगा
( Ye waqt bhi nikal jayega )
समय भले हो कड़वा चाहे, मीठे अनुभव देकर जाएगा।
जरा संभल के चलो प्यारे, यह वक्त भी निकल जाएगा।
रख हौसला बढ़ता जा नर, हर तूफानों से टकराता जा।
हर मुश्किल हर बाधा को, धीरज धर मात खिलाता जा।
खिले चमन में हो मस्त बहारें, मधुबन महक सा जाएगा।
प्यार के मोती चलो लुटाते, यह वक्त भी निकल जाएगा।
यह वक्त भी निकल जाएगा
जोड़ो दिलों के तार सभी, बजे प्रेम भरी झंकार तभी।
अपनत्व अनमोल मोती, करो अपनों की मनुहार कभी।
रखो सबका ध्यान नहीं तो, फिर बाड़ खेत को खाएगा।
फूंक फूंककर कदम चलो, यह वक्त भी निकल जाएगा।
वक्त बुरा तो धीरज धर, मन में अटल विश्वास भरो
हौसलों से कर लो मुकाबला, काम कोई खास करो।
सेवा सद्भावों से जग में, जो कीर्ति पताका फहरायेगा।
यश वैभव आनंद बरसे, यह वक्त भी निकल जाएगा।
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )