मानो मेरी बात देखो दिल सुधर जा !

मानो मेरी बात देखो दिल सुधर जा | Dil ki baat shayari

मानो मेरी बात देखो दिल सुधर जा !

( Maano meri baat dekho dil sudhar ja ) 

 

मानों मेरी बात देखो दिल सुधर जा !
यूं किसी के प्यार में ही मत बिखर जा

 

ग़ैर जैसे हो गया उसके लिए ही
पास से ऐसे वहीं मेरे गुज़र जा

 

सिर्फ़ तन्हाई नज़र आती मुझे तो
ये जहां तक दोस्त मेरी नज़र जा

 

ग़म लगेगा वरना दिल को दोस्त मेरे
गांव में ही छोड़कर तन्हा किधर जा

 

रिश्तें में वरना दरारें आयेगी फ़िर
यूं नहीं नाराज़ होकर तू मगर जा

 

चोट वरना दिल को तेरे फ़िर लगेगी
अब नहीं तू देख आज़म मत उधर जा

 

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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