प्यार में अंग अंग है नशीला मेरा
प्यार में अंग अंग है नशीला मेरा
ऐसा काटा निगाहों से उसने यारों
और कोई नजर आता चेहरा नहीं
उसके ऐसा चढ़ा है नशा प्यार का
प्यार में अंग अंग है नशीला मेरा
ऐसा काटा निगाहों से उसने यारों
और कोई नजर आता चेहरा नहीं
उसके ऐसा चढ़ा है नशा प्यार का
ख़्वाब आए उसी अब हंसी सूरत का
वार ऐसा किया आंखों से आंखों पे
ये उतरेगा उसी के लबों से नशा
जो चढ़ा है नशा उस हंसी का मुझे
उसकी नीली निगाहें भाये वो मुझे
कर गया वार ऐसा मुहब्बत का वो
उम्रभर के लिए रब बना दे मेरा
प्यार का जो इशारा गया है करके
फूल भेजा उसे प्यार का आज़म ने
कल मिला है हसीं चेहरा जो रहा में
️
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
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