ताती ताती लूंवा चालै | मारवाड़ी फटकारो
ताती ताती लूंवा चालै
धोळै दोपारां लाय बरसै आंधड़लो छा ज्यावै है
ताती ताती लूंवा चालै आग उगळती आवै है
बळै जेठ महीनो तातो सड़का तपरी होकै लाल
पंछीड़ा तिसायां मररया डांडा होरया है बेहाल
मिनख घूमै छांया ढूंढतो पड़रयो तावड़ो बेशूमार
आवै पसीनो खूब ठाडो चक्कर खावै कितणी बार
ई गरमी म सड़का सूनी सूना सगळा होरया बजार
बळती लाय निकळै कोई सीधो पड़ ज्यावै बैमार
ठण्डो पीणो ठण्डो खाणो बळै लूंवा ज्यान बचाणो
सूरजी उगळ आग तगड़ी सोच समझ बारै ज्याणो
सिर पै पगड़ी गोछो राखो ज्या बैठो ठंडी छांया म
ठण्ठाई लस्सी पी ज्याओ करल्यो बातां भायां म
सुस्ता ल्यो थोड़ा थे भाया खेजड़ली री छांया म
दोपारा आपणो धरम कोनी बारै बळती लूंवा म
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )