पर्यावरण चेतना | Marwadi Rachna
पर्यावरण चेतना
( Paryavaran chetna )
बिना दरख्तां क आ धरती सूनी सूनी लागै है
आसमान सूं बादळिया भी परै परै ही भागै है
आओ सगळा मिलकै रूंखड़ल्या री खैर लेवां
साढ़ सावण झूमकै बरसै इंदर राजा री महर लेवां
हरी भरी हरियाळी धरती कूंचा कूंचा हरसावै है
मस्त चालै भाळ मोकळी मन म्हारो मुळकावै है
जगां जगां पेड़ लगा दयो जीवन रो सुख चावो तो
सांसा री आ डोर टूटरी थोड़ा ध्यान लगाओ तो
घणी बैमारी भांत भांत री मिनखा न दुख देवे है
ठंडी ठंडी भाळ-चालै है सगळी पीर हर लेवै है
चोखी खेती धान निपजै चोखो जमानों आवै
रूंखड़ल्या री छायां माही पंछीड़ा सुख पावै
हरयाळी सूं लदी धरा चुनरिया ओढ़ दिखावै
कोयलड़ी भी जद बागां म बैठी कूक सुणावै
मौसम बदळै रंग घणेरो कुदरत खेल रचावै
आओ रूंख लगावां आपां हरियाळी बढ़ ज्यावै
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )