Swarn Mandir

स्वर्ण मंदिर है गुरु का द्वार

( Swarn mandir hai guru ka dwar ) 

 

जिसको सारा विश्व जानता स्वर्ण मंदिर के नाम,
श्री हरिमन्दिर श्री दरबार साहिब इसी का नाम।
सिक्ख आस्था का है यह सर्वाधिक पवित्र धाम,
करोड़ों श्रद्धालु देखने को आते जिसका काम।।

सिक्ख धर्म में आध्यात्मिक-प्रतिष्ठित यह स्थान,
पवित्र-कुंड के नीर में यहां करते है सभी स्नान।
सभी धर्मों को समझा जाता है यहां एक समान,
इसलिए पूज्य स्थलों में है ये सर्वाधिक महान।।

संपूर्ण विश्व में शिल्प सौन्दर्य की है यह मिसाल,
नक्काशी एवं सुंदरता से मन में आते है ख़्याल।
संगमरमर की मूर्तियां और चित्र जिसमेे भरमार,
सोने की परतो का जिसमे किया है इस्तेमाल।।

इतिहास-रामदासपुर आज अमृतसर कहलाता,
जिसकी स्थापना १५७४ में आप ही किया था।
पांचवें गुरु अर्जन जी ने मंदिर काम शुरू किया,
खुला हो मन्दिर हर तरफ़ से ये जोर दिया था।।

हर धर्म के लोगों का यहां आदर किया है जाता,
सबसे बड़ा लंगर जहां चौबीसों घण्टे है चलता।
जूते-मोज़े बाहर उतारकर अंदर में जाया जाता,
गुरूद्वारा व गुरू का द्वार यही तो है कहलाता।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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