Mere aas Paas me

मेरे आस पास में | Mere aas Paas me

मेरे आस पास में

( Mere aas paas me ) 

 

कोई नादान हो रहा है मेरे आस पास में,
उम्मीदों को बो रहा है मेरे आस पास में।

बारिशों से कहिए कि पूरा झूम के बरसें,
कोई ख़्वाब धो रहा है मेरे आस पास में।

वो ज़माने भर के सैंकड़ों भंडार छोड़ के,
हसरतों को ढो रहा है मेरे आस पास में।

ये सोचा नहीं उसने कि हाल क्या होगा,
जो बेख़बर सो रहा है मेरे आस पास में।

मैंने आंसू नहीं पोंछे अलग बात है मगर,
वो मुद्दतों से रो रहा है मेरे आस पास में।

उसे फुर्सत नहीं है किसी और काम की,
सारा वक़्त खो रहा है मेरे आस पास में।

मेरे मां बाप की दुआओं का नूर है सारा,
जो उजाला हो रहा है मेरे आस पास में।

उसे कहिए कि सागर बुरा ना मान जाए,
दरिया बहा तो रहा है मेरे आस पास में।

मैं भी तो आदमी हूं, फरिश्ता नहीं कोई,
नोच लिया जो रहा है मेरे आस पास में।

मेरे काम से किसी को हसद नहीं मगर,
दर्द अपनों को रहा है मेरे आस पास में।

मैं लक्ष्य से इसलिए भटका नहीं ज़फ़र,
टेढ़े रास्ते में वो रहा है मेरे आस पास में।

 

ज़फ़रुद्दीन ज़फ़र
एफ-413, कड़कड़डूमा कोर्ट,
दिल्ली -32
zzafar08@gmail.com

यह भी पढ़ें:-

मज़ा आ गया | Mazaa aa Gaya

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *