Ghazal Jaye Yaro
Ghazal Jaye Yaro

जाये यारो

( Jaye Yaro )

दिल की सरगोशी मिरी मुझको डराये यारो।
हद कि बस याद वही याद क्यूं आये यारो।

मुस्तकिल कह दो रहे उससे वो दिल में मेरे
और जाना है तो फिर जल्द ही जाये यारो।

मुझको मंजूर सज़ा जो वो मुक़र्रर कर दे
शर्त बस ये की ख़ता मेरी बताये यारो।

यूं तो कहने को वो हमराज़ मेरा है लेकिन
अपने सब राज़ वही मुझसे छुपाये यारो।

वो है माज़ी तो उसे भूल ही जाना अच्छा
ख़त यही सोच सभी उसके जलाये यारो।

शख़्स मुझसे वो अकेले में बात करता है
महफ़िलों में वो मगर आंख चुराये यारो।

मामले दिल के बड़े ही ये अजब होते हैं
तोड़ता दिल जो नयन दिल को वो भाये यारो।

सीमा पाण्डेय ‘नयन’
देवरिया  ( उत्तर प्रदेश )

सरगोशी– दिल की आवाज़
मुस्तकिल – हमेशा
मुकर्रर -निश्चित
माज़ी -अतीत

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