मेरी प्यारी माँ | Meri Pyari Maa
मेरी प्यारी माँ
( Meri Pyari Maa )
रोज़ ही धीमे कदमों से मेरे ख़्वाबों में आती है,
हौले-हौले सुरो में “लोरी” वह मुझे सुनाती है,
दुनिया के झमेलों से निकल “आँखें “बंद करूँ,
माँ का तसव्वुर बेसुकूनी को सुकून दे जाती है,
ज़िन्दगी की धूप के थपेड़े ‘रूह’ को जलाती है,
तब माँ के आँचल से, जन्नत की हवा आती है,
“मेरी माँ” नहीं मगर..उनका ख़्याल काफी है,
उनके मोहब्बत से हूँ, मरहूम मलाल बाकी है,
खोलूँ जब भी मैं “माँ” की पुरानी अलमारीयाँ,
उन कपड़ों से अब भी माँ की ख़ुशबू आती है,
जब ज़ीस्त-ए-दरिया में, डूबने लगता सफ़ीना,
मेरी माँ की दुआएं मुझे साहिल पे ले आती है!
आश हम्द
( पटना )