मेरी तलाश में है | Meri Talash Mein Hai
मेरी तलाश में है
( Meri talash Mein Hai )
भटक रहा जो बराबर मेरी तलाश में है।
सुना है मेरा वो दिलवर मेरी तलाश में है।
किसी का प्यार मुकर्रर मेरी तलाश में है।
ख़ुशी है मुझको, मुक़द्दर मेरी तलाश में है।
ज़रा सा क़तरा हूँ लेकिन नसीब है मेरा,
जो ख़ुद ही एक समुन्दर मेरी तलाश में है।
कभी जो प्यार से मुझको गुलाब देता था,
वो हाथ में लिए पत्थर मेरी तलाश में है।
न हो सकी है मुकम्मल ये ज़िन्दगी मेरी,
अजब हवाओं का लश्कर मेरी तलाश में है।
घुले हैं दर्द सभी आज मेरे अश्कों में,
ग़मों का कैसा ये मंज़र मेरी तलाश में है।
वजूद मेरा मिटाकर भी खुश नहीं रहता,
अभी भी मेरा सितमगर मेरी तलाश में है।
फ़लक पे पहुंची मगर कुछ नहीं मिला मुझको,
समझ रही थी कि, ‘अख़्तर’ मेरी तलाश में है।
ग़ज़ल कहूं तो भला कैसे मैं कहूं “मीना”,
वो लफ़्ज़ गुम है जो बहतर मेरी तलाश में है।
कवियत्री: मीना भट्ट सिद्धार्थ
( जबलपुर )
अख़्तर -सितारा
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